जेनेवा, एजेंसियां। भारत ने तुर्की (Turkey), पाकिस्तान (Pakistan) और ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज (OIC) को मानवाधिकार परिषद के 46वें सत्र (46th session of the Human Rights Council) के दौरान आंतरिक मामलों में दखल देने पर जमकर फटकार लगाई। तुर्की द्वारा जम्मू-कश्मीर का जिक्र किए जाने पर भारत ने उसे आंतरिक मामले पर टिप्पणी करने से बचने की सलाह दी और कहा कि उसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की बेहतर समझ विकसित करनी चाहिए।
पाकिस्तान को आतंकवाद का केंद्र बताते हुए भारत ने कहा कि कोई भी इस्लामाबाद से मानवाधिकारों पर भाषण नहीं सुनना चाहता जो लगातार हिंदू, सिखों और ईसाइयों समेत अपने जातीय एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों को प्रताडि़त करता रहा है। पड़ोसी देश से आतंकियों की घुसपैठ की कोशिशों के बावजूद भारत ने जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को पुनर्जीवित किया है और सामाजिक-आर्थिक विकास को नई गति प्रदान की है।
मानवाधिकार परिषद में प्रथम सचिव पवन बाधे ने कहा कि हम ओआइसी द्वारा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का जिक्र किए जाने को खारिज करते हैं जो भारत का अविभाज्य हिस्सा है। ओआइसी को भारत के आंतरिक मामले में टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। इसने पाकिस्तान के एजेंडे के लिए खुद का इस्तेमाल होने दिया है। ओआइसी के सदस्य देशों को इस बात का फैसला करना चाहिए कि क्या पाकिस्तान को ऐसा करने की इजाजत देना उनके हित में है।
भारत ने मानवाधिकार परिषद में पाकिस्तान को भी निशाने पर लिया। बाधे ने कहा, दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिए झूठी और मनगढ़ंत बातों के साथ भारत को बदनाम करना पाकिस्तान की आदत बन गई है। न तो भारत और न ही अन्य किसी देश के मानवाधिकारों पर उसे भाषण देने का अधिकार है, जिसने लगातार अपने जातीय और धाíमक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया है।